एक तीर से दो निशाना… केजरीवाल ने आतिशी कैबिनेट में मुकेश अहलावत को डालकर कैसे साध लिए दो चुनाव?

एक तीर से दो निशाना… केजरीवाल ने आतिशी कैबिनेट में मुकेश अहलावत को डालकर कैसे साध लिए दो चुनाव?

दिल्ली की नई मुख्यमंत्री आतिशी (Atishi) आज, 21 सितंबर को शपथ ग्रहण करेंगी। आतिशी के साथ 5 कैबिनेट मंत्री भी आज शपथ लेंगे। आतिशी और उनकी कैबिनेट का शपथ ग्रहण राजनिवास में होगा। कार्यक्रम को लेकर तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। शाम 4.30 से 5.00 बजे के बीच आतिशी मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगी। LG विनय कुमार सक्सेना उन्हें ​​​​शपथ दिलाएंगे। आतिशी के साथ AAP के 5 विधायक भी मंत्री पद की शपथ लेंगे। इनमें एक नाम ऐसा है जो पहली बार मंत्री बनने जा रहे हैं।

केजरीवाल कैबिनेट के 4 मंत्री आतिशी कैबिनेट में भी मंत्री बनेंगे। सौरभ भारद्वाज, कैलाश गहलोत, गोपाल राय और इमरान हुसैन पहले से ही मंत्री हैं वो एक बार फिर से मंत्री पद की शपथ लेंगे और आतिशी के मंत्रिमंडल में शामिल हो जाएंगे। आतिशी की कैबिनेट में एक नए चेहरे को भी जगह मिलने जा रही है। उत्तर पश्चिम दिल्ली के सुल्तानपुर माजरा के विधायक मुकेश अहलावत नए मंत्री बनेंगे।

कौन हैं मुकेश अहलावत?

विधायक मुकेश अहलावत को समाज कल्याण मंत्री राज कुमार आनंद द्वारा इस्तीफे देने के बाद खाली हुए जगह में शामिल किए जाने की संभावना है। मुकेश दलित समुदाय से आते हैं। 2013 में पहली बार सुल्तानपुर से BSP की टिकट पर चुनाव लड़ा था मगर हार गए। 2020 में आम आदमी पार्टी (AAP) ज्वाइन किया। सुल्तानपुर माजरा से पार्टी ने इन्हें टिकट दी और यहां से जीत दर्ज के ये पार्टी की उम्मीदों पर खरे उतरे।

दलित वोट बैंक में पर आप की नजर

पहली बार के विधायक को AAP ने राजस्थान का इन्चार्ज बना दिया और अब मंत्री बनने जा रहे हैं। AAP मुकेश को मंत्री पद देकर एक तीर से दो निशाना साधने जा रही हैं। AAP की नजर दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव के साथ-साथ हरियाणा विधानसभा चुनाव पर भी है। मुकेश अहलावत को आप दलित चेहरे के रूप में पेश करेगी। उन्हें समाज कल्याण मंत्री बना कर पार्टी डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश करेगी।

AAP की एक तीर से दो निशाना साधने की कोशिश

दिल्ली में 12 फीसदी दलित पॉपुलेशन है। राजकुमार आनंद के BSP में जाने से AAP के दलित वोट बैंक में सेंध लगा है। आप  अहलावत को मंत्री बनाकर पार्टी दलित वोट बैंक साधना चाहती है। पार्टी इसका फायदा दिल्ली के साथ-साथ हरियाणा चुनाव में भी लेना चाहता है। यहां विधानसभा चुनाव में दलित वोटों की जंग है। इस समुदाय के लिए 17 सीटें आरक्षित हैं। ऐसे में पार्टी अहलावत को पद देकर यहां भी दलितों का विश्वास जीतने की कोशिश करेगी।

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