देव भूमि उत्तराखंड को भारत का स्वर्ग कहते हैं। यहां ऐसी-ऐसी छिपी जगह हैं, जहां जाकर आपको फील होगा जैसे किसी ऊपर वाले के खूबसूरत घर में बैठे हो। हर तरफ हरियाली, फूलों के बाग, सामने पहाड़ों की रेंज, ऊंचे-ऊंचे पेड़, ऊपर खिला-खिला आसमान, उत्तराखंड की एक अलग ही परिभाषा बयान करते हैं। इसी बीच एक खुशी की खबर सामने आई है, जिसमें राज्य के 4 गांवों को नेशनल टूरिस्ट अवॉर्ड से सम्मानित किया जाएगा।
जी हां, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाल ही में घोषणा की कि राज्य के चार गांवों को, केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय द्वारा दिया जाने वाला प्रतिष्ठित ‘बेस्ट टूरिज्म विलेज’ पुरस्कार मिला है। रिपोर्टों के अनुसार, इन गांवों को नई दिल्ली में एक समारोह के दौरान, अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन दिवस पर ग्रामीण पर्यटन में उनके योगदान के लिए पुरस्कृत किया जाएगा। चलिए आपको बताते हैं, कौन से वो गांव हैं जिन्हें इस लिस्ट में शामिल किया गया है।
ये हैं वो चार गांव जिन्हें मिलेगा अवॉर्ड
जानकारी के लिए बता दें, इस पुरस्कार के लिए चुने गए चार गांवों में उत्तराखशी से जाखोल और हरसिल, पिथौरागढ़ से सीमांत गुंजी और नैनीताल से सुपी शामिल हैं। प्रत्येक गांव को अपने अनोखे पर्यटन के लिए मान्यता दी गई है। जबकि जाखोल को उसके एडवेंचर टूरिज्म के लिए चुना गया है, हर्षिल और सीमांत गुंजी को वाइब्रेंट विलेज के रूप में मान्यता दी गई है। इसके अलावा, नैनीताल में सुपी को कृषि पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पुरस्कार मिलेगा।
इसलिए मिलता है गांवों को पुरस्कार
यह वार्षिक प्रतियोगिता पर्यटन मंत्रालय द्वारा आयोजित की जाती है, जिसमें उन गांवों को उजागर किया जाता है, जो संस्कृति और प्राकृतिक विरासत के संरक्षण में योगदान देते हैं। साथ ही कम्युनिटी वेल्यू और एक अच्छी जीवनशैली को बढ़ावा देते हैं। यही नहीं जो गांव आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देते हैं, उन्हें भी ये पुरस्कार दिया जाता है।
जानते हैं उन 4 गांवों के बारे में
जखोल : जखोल गांव उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित एक खूबसूरत गांव है। समुद्र तल से लगभग 7,200 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। ये गांव आसपास की हिमालय की चोटियों और हरे-भरे पेड़ों के मनोरम नजारें पेश करता है। जखोल अपने शांतिपूर्ण वातावरण, पारंपरिक लकड़ी के घरों, सीढ़ीदार खेतों और स्थानीय लोगों के व्यवहार के लिए प्रसिद्ध है।
हरसिल: हरसिल उत्तराखंड राज्य का एक अछूता और छिपा हुआ रत्न है, जो हिमालय की गोद में शांति और खूबसूरती की तलाश करने वालों के लिए परफेक्ट जगह बनाता है। गांव समुद्र तल से 2620 मीटर की ऊंचाई पर भगीरथी नदी के किनारे स्थित है। हाल के सालों में यह छोटा सा गांव एडवेंचर और प्रकृति प्रेमियों के बीच लोकप्रिय हो चुका है।
सीमांत गुंजी: गुंजी उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के धारचूला तहसील में एक छोटा सा गांव है। यह तिब्बत और नेपाल की सीमा के पास स्थित है। ये गांव उप-जिला मुख्यालय धारचूला से 65 किमी दूर है। वहीं इसकी ऊंचाई की बात करें, तो ये गांव 3,500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
सुपी गांव: सुपी गांव उत्तराखंड के नैनीताल जिले के नैनीताल तहसील में स्थित है। यह नैनीताल से 45 किलोमीटर दूर स्थित है, जो सुपी गांव का जिला और उप-जिला मुख्यालय दोनों है। 2009 के आंकड़ों के अनुसार, सुपी गांव एक ग्राम पंचायत भी है।
असम के इस गांव को पिछले साल मिला था अवॉर्ड
उत्तराखंड, जिसे अक्सर ‘देवभूमि’ या देवताओं की भूमि के रूप में जाना जाता है, हिमालय में स्थित है और दो मुख्य क्षेत्रों, गढ़वाल और कुमाऊं में विभाजित है। राज्य सरकार कई नीतियों और प्लानिंग के साथ पर्यटन का विकास करती रहती है ताकि पर्यटकों को आकर्षित किया जा सके। बता दें, इस लिस्ट में पिछले साल असम के सोनीपुर जिले के बिस्वनाथ घाट को बेस्ट विलेज टूरिस्म का अवॉर्ड मिला था।