इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू अब रुकने वाले नहीं. उन्होंने अमेरिका-फ्रांस के 21 दिनों के युद्धविराम प्रस्ताव को खारिज करके अपना रुख साफ कर दिया है. इसके साथ ही इजराइल की सेना को पूरे दमखम के साथ आगे बढ़ने का निर्देश दिया है. 1 करोड़ से भी कम आबादी वाला इजराइल लगातार दुश्मनों को जवाब दे रहा है. यह देश लेबनान के हिजबुल्लाह की कमर तोड़ रहा है. ठीक उसी अंदाज में जैसे गाजा में हमास को बर्बाद किया था. सिर्फ चार दिन चली जंग ने इजराइल ने हिजबुल्लाह के 90 फीसदी नेताओं को ठिकाने लगा दिया है. इजराइल ने हमलों को भी झेला. दुश्मनों को जवाब भी दिया और आज पूरी ताकत के साथ खड़ा हुआ है. न तो देश के आर्थिक हालात बहुत बिगड़े हैं और न ही उसकी हिम्मत और जज्बे में कमी आई है. सवाल उठता है कि आखिर इजराइल के पास ऐसा कौन सा अलादीन का चिराग है जो उसे मजबूती दे रहा है.
इस सवाल का जवाब मिलता है इजराइल के आर्थिक ढांचे से. इजराइल में डायमंड एक्सपोर्ट का कारोबार उसकी रीढ़ से कम नहीं है. डायमंड का कारोबार उसे दुनियाभर से मोटी रकम दिला रहे हैं. यह रकम इतनी ज्यादा है कि जंग के बाद भी यह मजबूती से खड़ा है.
खजाने पर बैठा है इजराइल
इजराइल कई चीजों से कमाई कर रहा है. इसमें मैन्युफैक्चरिंग, ऑयल, माइनिंग, हथियार और लेबर फोर्स शामिल हैं. इजराइल अपनी जीडीपी का 40 फीसदी कमाई सामान निर्यात करके कमाता है. एक्सपोर्ट में सबसे ऊपर है डायमंड. अमेरिका, चीन, आयरलैंड और ब्रिटेन उन देशों में शामिल हैं जो इजराइल से चीजें खरीदते हैं और एक मोटी कीमत चुकाते हैं.
इजराइल में दुनिया की सबसे बड़ी डायमंड कठिंग और पॉलिशिंग इंडस्ट्री है. यही इसकी कमाई का सबसे बड़ा सोर्स है जो इसकी ताकत बना हुआ है. जंग के दौर में भी इजराइल ने हमास और हिजबुल्लाह के हमलों से देश की अर्थव्यवस्था को बचाने की पूरी कोशिश में जुटा हुआ है और सफल रहा है. इजराइल की ताकत और हिम्मत को बेंजामिन नेतन्याहू के हालिया बयान से समझा जा सकता है, जिसमें उन्होंने युद्धविराम के प्रस्ताव पर ठुकरा दिया है.
इजराइल की सबसे ज्यादा कमाई होती है हीरों के एक्सपोर्ट से. इजराइल से एक्सपोर्ट होने वाली कुल चीजों में 25 फीसदी हिस्सा डायमंड है. इजराइल वो देश है जो पॉलिश किए गए हीरों का निर्यात करने में सबसे अव्वल है. इसके अलावा कच्चे हीरे यानी राॅ डायमंड के व्यापार का केंद्र है. हर साल दुनियाभर में कच्चे हीरे के उत्पादन का करीब एक-तिहाई हिस्सा इजराइल डायमंड एक्सचेंज में आयात किया जाता है. इसके बाद इसे पॉलिश करके दुनियाभर में एक्सपोर्ट किया जाता है.
सिर्फ हीरों से कितनी क्रांति ला रहा इजराइल?
साल 2020 में 7.5 अरब डॉलर के हीरों का निर्यात करके इजरायल दुनिया का छठा सबसे बड़ा डायमंड एक्सपोर्टर बना. इजराइल डायमंड एक्सचेंज (IDE), दुनिया के सबसे बड़े हीरा केंद्र में से एक है. इसकी स्थापना 1937 में हुई थी और इसके लगभग 3,000 सदस्य कच्चे और पॉलिश किए गए हीरों के निर्माण, आयात और निर्यात के लिए काम कर रहे हैं.
इजराइल सिर्फ हीरा उद्योग से 6,693 करोड़ रुपए सालाना कमाता है. हीरा व्यापार यहां के लाखों युवाओं को रोजगार दे रहा है. हीरा उद्योग यूरोप में यहूदी लोगों के इतिहास से जुड़ा रहा है. मध्यकालीन युग में, कानूनी प्रतिबंधों ने यहूदियों को कुछ खास व्यवसायों तक सीमित कर दिया था. हीरे का व्यापार यहूदियों के लिए बेहतर विकल्प था. धीरे-धीरे हीरे का व्यापार यहूदियों के बीच एक लोकप्रिय व्यवसाय बन गया.
एक कमरे में बैठक से शुरू हुआ था हीरे का कारोबार
इज़राइल का उद्योग 1930 के दशक में उद्यमी अप्रवासियों के साथ शुरू हुआ, जो बेल्जियम से व्यापार की सूझबूझ और स्किल लेकर आए थे. 1940 तक नेतन्या और तेल अवीव में मुट्ठीभर कारखाने चल रहे थे और 1937 में पहले “फिलिस्तीन डायमंड क्लब” और फिर नाम से “इज़राइल डायमंड एक्सचेंज” का गठन किया गया. डायमंड क्लब की पहली बैठक एक निजी घर के कमरे में हुई और बाद में तेल अवीव के एक कैफ़े में होने लगी.
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, जब पारंपरिक यूरोपीय केंद्र जर्मन कब्जे में आ गए, तो इज़राइल पॉलिश किए गए हीरों का एक प्रमुख केंद्र बन गया. 1948 में इज़राइल राज्य की स्थापना के साथ ही नए अप्रवासी पहुंचे, इनकी भर्ती हीरा उद्योग में कामगारों के रूप में की गई. कुछ ही महीनों ये ये प्रशिक्षित हो गए. सालों-साल विकास हुआ और फिर इजरइाल ने डायमंड के व्यापर में तकनीक को शामिल किया. इस कदम ने इजराइल की अर्थव्यवस्था को और रफ्तार दी. आज इजराइल मजबूती से डटा हुआ है.