दहला था लेबनान, अमेरिका को पहुंची थी चोट…41 साल बाद इजराइल ने कैसे लिया बदला?

दहला था लेबनान, अमेरिका को पहुंची थी चोट…41 साल बाद इजराइल ने कैसे लिया बदला?

 

इजराइल ने शुक्रवार को बैरूत की एक इमारत पर हमला करते हुए हिजबुल्लाह के टॉप कमांडर इब्राहिम अकील को मार गिराया है. इब्राहिम अकील की मौत की पुष्टी होने के बाद से ही खबरों उसकी चर्चा होने लगी है, वे अमेरिका और इजराइल की हिट लिस्ट में शामिल था और उसके ऊपर 7 मिलियन डॉलर (58 करोड़) का इनाम रखा गया था.

हर किसी को ये जानने की जिज्ञासा है कि हिजबुल्लाह कमांडर इब्राहिम अकील अमेरिका और इजराइल का इतना बड़ा दुश्मन कैसे बना? दरअसल इब्राहिम 1980 के दश्क से हिजबुल्लाह के साथ काम कर रहा था और वे इसका संस्थापक सदस्यों में से एक था. पिछले 40 सालों में उसने लेबनान के अंदर हिजबुल्लाह का वर्चस्व बढ़ाने के लिए कई बड़े काम किए हैं. इब्राहिम ने लेबनान में हिजुल्लाह का एक मिलेशिया से राजनीति, समाज सेवा जैसे क्षेत्रों में विस्तार किया.

1983 से हुई शुरुआत

1983 का साल मध्य पूर्व की हिंसा में एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जब लेबनान की राजधानी बेरूत में आत्मघाती हमलों ने 360 से ज्यादा लोगों जान ले ली थी, मरने वालों में ज्यादातर अमेरिकी मरीन थे. इन हमले का आरोप अमेरिका ने हिजबुल्लाह के प्रमुख सैन्य कमांडरों में से एक इब्राहिम अकील पर लगाया. तभी से अमेरिका और इजराइल की खूफिया एजेंसियां इब्राहिम की तलाश में लगी थी, लेकिन 40 सालों से वे उनके हाथ नहीं आया और परदेके पीछे से अपने मिशन को अंजाम देता रहा.

क्या हुआ था 1983 के हमले में?

जिस बेरूत में हिजबुल्लाह कमांडर की मौत हुई है, उसी बेरूत में साल 1983 में एक आत्मघाती हमलावर ने विस्फोटक से भरा मर्सिडीज ट्रक अमेरिकी मरीन सेना के बैरक में घुसा दिया था. जिसके बाद हुए भयंकर धमाके ने 241 अमेरिकी सैनिकों की जान ले ली और 100 से ज्यादा घायल हुए. ये हमला अमेरिका के लिए उस वक्त का सबसे बड़ा झटका था, जब एक ही दिन में उसके इतनी बड़ी संख्या में सैनिक मारे गए थे.

Us Marine

अमेरिकी मरीन बैरक में धमाके बाद उठता धुआ. /US DEFENCE

सुरक्षा में हुए कई बदलाव

इस घटना के बाद से अमेरिका समेत कई यूरोपीय देशों ने विदेश में अपनी सेनाओं के ठिकानों और दफ्तरों की सुरक्षा को मजबूत किया. बेरूत में अब अमेरिकी दूतावास एक सशस्त्र किले की तरह है, और अमेरिकी राजदूत एक बड़े सुरक्षा घेरे में चलते हैं.

क्षेत्र में स्थिरता लाने के उद्देश्य के लिए 1982 में अमेरिका और यूरोपीय देशों ने बेरूत में शांति सैनिकों को तैनात किया था, लेकिन समय के साथ, वे ही हिंसा का केंद्र बन गए और उनके खिलाफ कई हमले हुए. जिसके बाद अमेरिका को इन सैनिकों की बेरूत से वापसी करनी पड़ी.

सिर्फ यही हमले नहीं इसके अलावा कई अपहरण और हिजबुल्लाह के कई दूसरे ऑपरेशन में भी इब्राहिम का हाथ होने के बाद अमेरिका ने उसे वैश्विक आतंकवादी की लिस्ट में डाला था और उसके सिर पर 7 मिलियन डॉलर का इनाम रखा था.

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