आनन्द श्रीवास्तव की रिपोर्ट-
महराजगंज। जमीन की खरीद-बिक्री में होने वाले फर्जीवाड़े को रोकने के लिए रजिस्ट्री विभाग ने बड़ा कदम उठाया है। आने वाले दिनों में जमीन की रजिस्ट्री करने की प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाने के लिए रजिस्ट्री विभाग के सॉफ्टवेयर को आधार से लिंक किया जाएगा। इसके लिए आवश्यक प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इस कदम से बेनामी संपत्ति और धोखाधड़ी के मामलों पर प्रभावी रोक लग सकेगी।
आधार लिंक से फर्जीवाड़ा रुकेगा-
जमीनों का कारोबार करोड़ों रुपये में होता है, और इसमें गड़बड़ी की संभावना बनी रहती है। लेकिन अब, रजिस्ट्री सॉफ्टवेयर के आधार से लिंक होने के बाद, बेनामी संपत्ति का पता आसानी से लगाया जा सकेगा। जमीन की रजिस्ट्री के समय क्रेता और विक्रेता दोनों के आधार कार्ड की फोटो कापी ली जाती है, जिससे उनकी पहचान सुनिश्चित होती है। नए नियमों के तहत, आधार कार्ड को राजस्व अभिलेख से लिंक किया जाएगा। यह कदम जमीन की धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े के मामलों को काफी हद तक रोकने में मददगार साबित होगा।
आधार नंबर लिंक होने से एक ही जमीन को कई बार बेचने जैसे मामलों पर भी अंकुश लग सकेगा। इससे जमीन की खरीदी-बिक्री में होने वाले फर्जीवाड़े पर पूरी तरह से लगाम लगाई जा सकेगी।
बायोमेट्रिक से होगी पहचान सत्यापन-
रजिस्ट्री कार्यालय के सॉफ्टवेयर को आधार से लिंक किए जाने पर हर व्यक्ति का डेटा सॉफ्टवेयर में फीड होगा। बायोमेट्रिक मशीन के जरिए क्रेता और विक्रेताओं के अंगूठे की छाप ली जाएगी, जिससे उनकी पहचान सुनिश्चित हो सकेगी। आधार नंबर डालते ही सॉफ्टवेयर से संबंधित व्यक्ति की जानकारी सामने आ जाएगी, जिससे पता चलेगा कि वह वास्तव में रजिस्ट्री कराने आया है या नहीं। इसके साथ ही, व्यक्ति की संपत्तियों का पूरा ब्यौरा सॉफ्टवेयर में सुरक्षित रहेगा।
ऑनलाइन रजिस्ट्री की सुविधा-
आधार से लिंक होने के बाद भविष्य में घर बैठे ऑनलाइन रजिस्ट्री की सुविधा उपलब्ध होगी। जमीन से जुड़े दस्तावेज ऑनलाइन अपलोड किए जा सकेंगे, और सत्यापन के लिए सिर्फ एक बार कार्यालय आना होगा। इस नई व्यवस्था से लोगों का समय और संसाधन दोनों की बचत होगी, और रजिस्ट्री प्रक्रिया में पारदर्शिता और सुरक्षा भी बढ़ेगी।