यह साल 1970 की बात है, 27 सितंबर को वर्ल्ड टूरिज्म ऑर्गेनाइजेशन (यूएनडब्ल्यूटीओ) नामक संगठन की स्थापना की गई थी. इसके 10 साल बाद 1980 में वर्ल्ड टूरिज्म डे (विश्व पर्यटन दिवस) मनाने का फैसला लिया गया था. संगठन ने अपनी स्थापना वाले दिन यानी 27 सितंबर को यह दिवस मनाने की शुरुआत की और तभी से पूरी दुनिया में इसे मनाया जाता है. साल 2024 की वर्ल्ड टूरिज्म डे की थीम है टूरिज्म एंड पीस यानी पर्यटन और शांति. भारत में भी पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं. अब इनको बढ़ावा देने के लिए कई तरह के उपाय किए जा रहे हैं. इनमें रामायण सर्किट से लेकर देसी सामानों की ब्रांडिंग तक शामिल है. दुनियाभर में भारत की सकारात्मक छवि और बढ़ता रुतबा विदेशी पर्यटकों को लाने में मदद कर रहा. यही वजह है कि भारत विदेशी पर्यटकों की संख्या में रिकॉर्ड बना रहा है.
लोकसभा में जारी गए आंकड़े बताते हैं कि साल 2023 में 1 करोड़ 92 लाख विदेशी पर्यटक आए. वहीं, 2022 में 85 लाख 87 हजार और 2021 में 10 लाख 54 हजार विदेशी सैलानी आए थे. आइए जान लेते हैं कि देश में विदेश पर्यटकों को बढ़ावा देने के लिए क्या-क्या कदम उठाए गए हैं.
वास्तव में वर्ल्ड टूरिज्म डे के जरिए पर्यटन के प्रति लोगों को जागरूक किया जाता है और इसमें अपनी भागीदारी के लिए प्रेरित किया जाता है. दुनिया भर में पर्यटन अब एक उद्योग के रूप में स्थापित हो रहा है और यह रोजगार का भी बड़ा साधन है. इससे लोगों को आर्थिक मदद मिलती है. इतना ही नहीं, इसके जरिए सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक समृद्धि की राह भी खुलती है. पर्यटन कई संस्कृतियों और स्थानों को भी जोड़ता है.
स्वदेश दर्शन योजना की शुरुआत
भारत में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार की ओर से एक योजना शुरू की गई है. इसे नाम दिया गया स्वदेश दर्शन योजना. केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति मंत्रालय की ओर से साल 2014-15 में शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य विषयगत पर्यटन सर्किट का एकीकृत विकास है. इसके जरिए भारत में पर्यटन की क्षमता को बढ़ावा देना, विकसित करना और उसका दोहन करना है. स्वदेश दर्शन योजना के तहत केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय इन विषयगत सर्किट के विकास के लिए अलग-अलग राज्य सरकारों और केंद्र शासित राज्यों के प्रशासन को वित्तीय सहायता भी देता है.
15 सर्किट में शामिल है रामायण सर्किट
स्वदेश दर्शन योजना की परिकल्पना इसलिए की गई, जिससे स्वच्छ भारत अभियान, स्किल इंडिया और मेक इन इंडिया जैसी दूसरी योजनाओं के साथ तालमेल स्थापित किया जा सके. इस योजना के तहत 15 विषयगत सर्किट की पहचान की गई थी, जिससे इनका विकास किया जा सके. इनमें पूर्वोत्तर भारत सर्किट, हिमालय सर्किट, तटीय सर्किट, बौद्ध सर्किट, कृष्णा सर्किट, रेगिस्तान सर्किट, इको सर्किट, जनजातीय सर्किट, वन जीवन सर्किट, ग्रामीण सर्किट, आध्यात्मिक सर्किट, धरोहर सर्किट, जैन सर्किट, महात्मा गांधी सर्किट के साथ ही रामायण सर्किट शामिल हैं.
रामायण सर्किट में शामिल हैं ये स्थल
रामायण सर्किट में देश भर के उन स्थलों को चुना गया है, जहां-जहां भगवान राम गए थे. इनमें अयोध्या, शृंगवेरपुर, चित्रकूट (यूपी), सीतामढ़ी, बक्सर और दरभंगा (बिहार), चित्रकूट (मध्य प्रदेश), नंदीग्राम (पश्चिम बंगाल), महेंद्रगिरि (ओडिसा), जगदलपुर (छत्तीसगढ़), भद्राचलम (तेलंगाना), रामेश्वरम् (तमिलनाडु), हम्पी (कर्नाटक) और नासिक-नागपुर (महाराष्ट्र) शामिल हैं. सर्किट में शामिल इन स्थलों के विकास का उद्देश्य धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ ही विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करना है.
विदेशी जैसे हैं ये देशी ब्रांड्स
इसके अलावा पर्यटन मंत्रालय की स्वदेश दर्शन योजना का उद्देश्य है भारत को एक विश्व स्तरीय ब्रांड और विश्वस्तरीय पर्यटन स्थल के रूप में बढ़ावा देना. इसके जरिए अनोखे उत्पादों के विस्तृत दायरे को पूरी तरह से स्वायत्तता देना भी शामिल है. इसमें कई ऐसे उत्पाद शामिल हैं, जो हैं तो देशी पर उन्हें विदेशी माना जाता है. इन्हीं ब्रांड्स में से एक है मोंटे कार्लो. स्वेटर और जैकेट के इस ब्रांड की शुरुआत लुधियाना में ओसवाल वूलन मिल्स से साल 1949 में हुई थी. साल 1984 में मोंटे कार्लो ब्रांड को लॉन्च किया गया.
कभी अहमदाबाद की अरविन्द मिल्स स्वदेशी आंदोलन का हिस्सा थी और आज देश को पहला स्वदेशी जीन्स ब्रांड फ्लाइंग मशीन की जनक के रूप में जानी जाती है. साल 1980 में फ्लाइंग मशीन को तब लॉन्च किया गया था, जब देश में ज्यादातर विदेशी जींस का बोलबाला था. रेस्टोरेंट चेन सर्वाना भवन, ओल्ड मॉन्क, लूम सोलर, एलन सोली, पीटर इंग्लैंड, लक्मे, रॉयल एनफील्ड, लॉर्सन एंड टूब्रो ऐसे ही ब्रांड्स में शामिल हैं, जिन्हें आमतौर पर विदेशी माना जाता है. इनकी धमक कई देशों तक है और सरकार ऐसे तमाम ब्रांड्स को बढ़ावा दे ही रही है.
पीएम मोदी की विदेश यात्रा में अक्सर देखने को मिलता है जब वो वर्ल्ड लीडर्स के लिए देश में बनी चीजें लेकर जाते हैं और उन्हें तोहफे में देते हैं. पीएम मोदी की हालिया अमेरिकी यात्रा में यही देखने को मिला. पीएम मोदी ने राष्ट्रपति बाइडेन को एंटीक सिल्वर हैंड-एंग्रेव्ड ट्रेन मॉडल भेंट किया. इसे महाराष्ट्र के कारीगरों ने बनाया है. यह मॉडल 92.5 फीसदी सिल्वर से बना है. यह भारत की खूबी और इतिहास को दिखाता है. सांस्कृतिक रूप से जम्मू कश्मीर की फेमस पश्मीना शॉल भी भेंट की गई है.